Chapter :- 2 नमक का दारोगा
Chapter :- 2 नमक का दारोगा
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1. नमक विभाग के दरोगा पद पर किसकी नियुक्ति हुई थी?
(क) पण्डित अलोपीदीन
(ख) वंशीधर
(ग) बदलू सिंह
(घ) वृद्ध मुंशीजी
प्रश्न 2. नमक की गाड़ियाँ किसकी थी?
(क) मुन्शी वंशीधर की
(ख) पण्डित जगप्रसाद की
(ग) पंडित अलोपोदीन की
(घ) बदलू सिंह
प्रश्न 3. पण्डित अलोपीदीन को किस पर अखंड विश्वास था?
(क) शिवजी पर
(ख) रामजी पर
(ग) लक्ष्मीजी पर
(घ) वकील
प्रश्न 4. वंशीधर को पण्डित अलोपीदीन ने कौन-से पद पर नियुक्त किया?
(क) स्थायी मैनेजर
(ख) दारोगा
(ग) जज
(घ) हनुमानजी पर
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
प्रश्न 1. वंशीधर किस विभाग के दारोगा थे?
उत्तर :
वंशीधर नमक विभाग के दारोगा थे।
प्रश्न 2. वंशीधर ने पुल पर क्या देखा?
उत्तर :
वंशीधर ने देखा कि गाड़ियों की एक लंबी कतार पुल के पार जा रही है।
प्रश्न 3. पण्डित अलोपीदीन को किसने हिरासत में लिया?
उत्तर :
दारोगा वंशीधर के आदेश पर जमादार बदलू सिंह ने पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लिया।
प्रश्न 4. मुकद्दमे में किसकी जीत हुई?
उत्तर :
मुकदमे में पंडित अलोपीदीन की जीत हुई।
प्रश्न 5. वंशीधर की माता की कौन-सी कामना मिट्टी में मिल गई?
उत्तर :
वंशीधर की माता की जगन्नाथ और रामेश्वर यात्रा की कामनाएँ मिट्टीमें मिल गईं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
प्रश्न 1. वृद्ध गुंगीनी बपों फूते न रागाये?
उत्तर :
मुंशीजी के पुत्र अच्छे शकुन से घर से चले थे। जातेही-जाते नमक के दारोगा पद पर उनकी नियुक्ति हो गई। अच्छा वेतन और अच्छी ऊपरी आय। वृद्ध मुंशीजी को जब यह सुखद संवाद मिला, तो वे फले न समाए।
प्रश्न 2. वंशीधर रात को जमुना नदी पर क्यों गए?
उत्तर :
वंशीधर का आफिस जमुना नदी से एक मील की दूरी पर था। रात में वंशीधर सो रहे थे। नदी पर गाड़ियों की गड़गड़ाहट और मल्लाहों का कोलाहल सुनकर वे उठ बैठे। उन्हें लगा कि इतनी रात गए गाड़ियां क्यों नदी के पार जा रही हैं। अवश्य कुछ गोलमाल है। सच्चाई जानने के लिए वंशीधर रात को जमुना नदी पर पहुंच गए।
प्रश्न 3. पण्डित अलोपीदीन को क्यों हिरासत में लिया गया?
उत्तर :
नमक के दारोगा वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन की नमक की गाड़ियों को नदी के पार जाते हुए पकड़ा था और उन्हें रोक दिया था। पंडित अलोपीदीन ने उससे पैसे लेकर मामले को रफा-दफा करने का आग्रह किया। पर वंशीधर किसी भी कीमत पर उन छोड़ने को राजी नहीं हुआ और उसके आदेश से उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
प्रश्न 4. वंशीधर की अदालत में क्यों हार हुई?
उत्तर :
अदालत में अधिकारी वर्ग से लेकर छोटे-से-छोटा कर्मचारी पंडित अलोपीदीन के भक्त थे। सबको ताज्जुब हो रहा था कि वे कानून के पंजे में आए कैसे? अदालत में तुरंत वकीलों की सेना तैयार हो गई। वंशीधर के गवाह लोभ से डौवांडोल थे। सभी कर्मचारी अलोपीदीन का पक्षपात कर रहे थे। डिप्टी मैजिस्ट्रेट ने अपनी तजवीज में पंडित अलोपीदीन के विरुद्ध दिए गए प्रमाण को निर्मूल और भ्रामक करार दे दिया। इसलिए वंशीधर की हार हो गई।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ वाक्य में दीजिए।
प्रश्न 1. पण्डित अलोपीदीन के व्यक्तित्व का परिचय दीजिए।
उत्तर :
पंडित अलोपीदीन अपने इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार थे। उनका लंबा-चौड़ा व्यापार था। वे बड़े चलते-पुरजे आदमी थे। अफसरों, अधिकारियों से लेकर हर छोटे-बड़े आदमी पर उनका एहसान था। अपने सजीले रथ पर सवार होकर चलना उनका शौक था। उनका लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था। वे संसार ही नहीं स्वर्ग पर भी लक्ष्मी का राज्य होने की बात कहते थे। वे न्याय और नीति सबको लक्ष्मीजी के खिलौने मानते थे। लक्ष्मी के सामने वे सरकार और सरकारी आदेश को कोई महत्व नहीं देते। वे अपने प्रभाव के बल पर अदालत का न्याय भी अपने पक्ष में करवा सकते थे और कार्य सिद्ध होने पर स्वजन-बान्धवों को रुपये लुटाना उनका शौक था।
प्रश्न 2. पण्डित अलोपीदीन ने वंसीधर को जायदाद का स्थायी मैनेजर क्यों नियुक्त किया?
उत्तर :
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था। ये लक्ष्मी के बल पर कोई भी काम करवा लेने में विश्वास रखते थे। उनका कहना था कि न्याय और नीति सब लक्ष्मीजी के खिलोने हैं। उनकी इस मान्यता को तोड़ा था मुंशी वंशीधर ने। पंडित अलोपीदीन ने अपनी नमक से भरी गाड़ियों को छोड़ने के लिए वंशीधर से चालीस हजार रुपये तक के घूस का प्रस्ताव किया, पर वंशीधर ने एक सच्चे और कर्तव्यपरायण अधिकारी की तरह उनके प्रस्ताव को ठुकराकर पंडित अलोपीदीन को हिरासत में ले लिया।
पंडित अलोपीदीन को पहेली बार ऐसा आदमी मिला था, जिसने धर्म को पैसों से अधिक अहमियत दी थी। पंडित अलोपीदीन को सच्चे आदमी की पहचान थी और उन्हें अपनी जायदाद की व्यवस्था करने के लिए वंशीधर एक उपयुक्त व्यक्ति लगा। इसलिए उन्होंने वंशीधर को अपनी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त किया।
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं।
उत्तर :
किसी भी काम को नौति-सिद्धांत के अंतर्गत करने की व्यवस्था होती है। नियम-कानून के विरुद्ध कोई काम करने को अपराध माना जाता है और उसके लिए दंड की व्यवस्था होती है। पर कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अधिकारियों को पैसे खिलाकर उनसे गलत-सही हर प्रकार का काम करवा लेते हैं। वे यह समझने लगते हैं कि न्याय और नीति उनके हाथ के खिलौने हैं और पैसों के बल पर उन्हें जब चाहें तब खरीदा जा सकता है। पंडित अलोपीदीन की यही मान्यता है।
प्रश्न 2. धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला।
उत्तर :
पंडित अलोपीदीन को लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था। उनको विश्वास था कि पैसे के बल पर कोई भी गैरकानूनी काम करवाया जा सकता है। इसलिए जब दारोगा वंशीधर ने उनकी गाड़ियां रोक ली, तो उन्होंने वंशीधर के सामने पैसे लेकर गाड़ियों को छोड़ देने का प्रस्ताव रखा। पर दरोगा ने पैसे लेने से साफ मना कर दिया और पंडित अलोपीदीन को हिरासत में ले लेने का आदेश दे दिया। उस समय पंडित अलोपीदीन को महसूस हुआ, जैसे धर्म ने धन को पैरों तले रौंद डाला हो।
6. निम्नलिखित कथनों की पूर्ति के लिए दिए गये विकल्पों में से उचित विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
प्रश्न 1. वंशीधर के अनुभवी पिता ने कहा….
(क) ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है। इसी से बरकत होती है।
(ख) वेतन सरकार देती है और ऊपरी आमदनी धनवान देते हैं।
(ग) ऊपरी आमदनी कभी मत लेना।
(घ) वेतन के साथ ऊपरी आमदनी भी लेना।
उत्तर :
वंशीधर के अनुभवी पिता ने कहा, ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है। इसी से बरकत होती है।
प्रश्न 2. पण्डित आलोपीदीन को वंशीधर उत्तर देता है – ……
(क) पैसे से निपटारा हो जाएगा।
(ख) चालीस हजार नहीं, चालीस लाख पर भी असम्भव है।
(ग) पचास हजार तक सम्भव है।
(घ) ईश्वर के लिए मुझे माफ कर दीजिए।
उत्तर :
पंडित अलोपीदीन को वंशीधर उत्तर देता है, चालीस हजार नहीं; चालीस लाख पर भी असम्भव है।
प्रश्न 3. पं. अलोपीदीन हंसकर बोले……
(क) ऐसी सन्तान को और क्या कहूँ?
(ख) हमारा भाग्य हुआ।
(ग) मुझे इस समग एक भगोग्ग मनुष्य की ही जरूरत है।
(घ) मैं आपका दास हूँ।
उत्तर :
पंडित अलोपौदीन हंसकर बोले, मुझे इस समय एक अयोग्य मनुष्य की ही जरूरत है।
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