Chapter 6 घर
Chapter 6 घर
घर Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
घर घर होता है। वह कैसा भी हो और किसी भी हालत में क्यों न हो, उसमें रहनेवालों का उससे भावनात्मक लगाव होता है। यदि उसे अपने हाथों से रच-रचकर बनाया गया हो, तो फिर कहना ही क्या है। उसमें रहनेवालों का मोह उससे कभी जाता नहीं। प्रस्तुत निबंध में लेखक शहर में स्थायी हो जाने के बाद गांव के अपने पुराने और जर्जर घर को बेचने का निश्चय करते हैं, पर अंत में अपनी बूढ़ी माँ के आग्रह के कारण उन्हें अपना निर्णय बदल देना पड़ता है।
पाठ का सार :
लेखक और उनका पुश्तैनी घर : लेखक, उनके सभी भाई, सभी के परिवार तथा उनकी मां शहर में स्थायी हो गए हैं। गांव में लेखक का पुश्तैनी घर है, जिसे उनके दिवंगत पिता तथा उनकी मां ने खुद परिश्रम से बनाया था। वह घर अरसे से बंद रहता है और जर्जर होता जा रहा है।
घर बेचने का निश्चय : गाँव के अधिकांश लोगों ने शहर में स्थायी हो जाने के कारण अपने-अपने घर बेच दिए हैं। अब उनमें नए लोग आ गए हैं, जिनसे लेखक का कोई संबंध नहीं बना है। इसलिए लेखक भी अपनी बूढी माँ की अनुमति से गाँव का घर बेच देने का निश्चय करते हैं।
ऊहापोह की स्थिति : घर बेचने का निश्चय करने के बाद लेखक का मन उद्विग्न होता है। मन में विचार आता है कि पुश्तैनी मकान क्यों बेचा जाए। कितनी मेहनत से उनके पिताजी और माताजी ने उस घर को बनाया था।
पुरानी यादें : लेखक को घर से जुड़ी पुरानी बातें याद आती हैं – आगन में खेलना, दूर गांव पढ़ने जाना, बहनों-भाइयों के विवाहमंडप, पड़ोसियों से झगड़े, पशुओं के बाँधने की जगहें, दादा-दादी की मृत्यु, पिता की मृत्यु आदि-आदि।
घर घर है : लेखक सोचते हैं, यह घर केवल चार दीवारों से घिरा कोई मकान नहीं, जिसे बेच दिया जाए। इस घर से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। फिर वे सोचते हैं यह भावुकता है, जब गाँव जाना ही नहीं है, तो उस घर को रखने से क्या फायदा। अंत में घर निकाल देने का ही निर्णय लिया जाता है।
बेचने के पहले : घर बेचने के पहले लेखक और उनके सभी भाई एक बार सपरिवार अपने उस गाँव के घर में कुछ दिन एकसाथ रहने का निश्चय करते हैं। फिर लंबे अरसे बाद वह घर खुलता है और परिवारजनों से सूना घर गुलजार होता है।
माँ की प्रसन्नता : पुराने घर में आने पर सबसे ज्यादा प्रसन्न लेखक की मां थीं। लेखक के पिता की मृत्यु के बाद वे लगभग उदास ही रहती थीं। वे वहाँ आकर सबके बीच प्रसन्न थीं।
लेखक की व्यग्रता : लेखक को इस घर में बिताई पुरानी बातें याद आती हैं और वे उन्हें व्यग्र करती हैं। उन्हें लगता है जैसे घर की दीवारें उनसे कह रही हो कि एक तो इतने दिन बाद आए और अब हमेशा क लिए इसे दूसरों को देकर चले जाना चाहते हो।
माँ का रोना : लेखक घर में विभिन्न स्थानों पर जाते-जाते दालान में जाते हैं। वे वहाँ अपनी माँ को रोते हुए देखते हैं। वे माँ से रोने का कारण पूछते हैं, तो वे केवल इतना कहती हैं, ‘जब तक मैं जी रही हूँ, तब तक यह घर मत निकालो।’
मकान खरीदनेवाले का आना : लेखक के छोटे भाई के साथ वह आदमी आता है, जो मकान खरीदनेवाला था। मां छोटे भाई से भी तब तक यह मकान न बेचने के लिए कहती हैं, जब तक वे जिंदा हैं। छोटे भाई का जवाब : छोटा भाई मां की भावनाएं समझ जाता है और वह मकान खरीदनेवाले आदमी से कहता है- ‘भाई, कुछ समय रुक जाओ। हम यह घर देंगे, तो तुमको ही देंगे।’
सबकी छाती से पत्थर उतरा : इस निर्णय से घर के सभी लोगों की छाती पर से जैसे एक पत्थर-सा हट गया। अब सभी प्रसन्न थे।
घर शब्दार्थ :
1. स्थायी – कायमी, टिकाऊ।
2. पुश्तैनी – पीढ़ियों से चला आया हुआ।
3. सामाजिक – समाज का।
4. बेढंगा – अटपटा।
5. आगंतुक – अचानक आनेवाला, अजनबी।
6. आकर्षण – खिचाव, लगाव।
7. जर्जरित – जो जीर्ण हो गया हो।
8. चौमासा – बरसात का मौसम।
9. दालान – बैठका।
10. अनुमति – इजाजत।
11. व्यवहार कुशल – लेन-देन में कुशल।
12. सिफारिश – किसी का कोई काम करने के लिए दूसरे से कहना।
13. भरोसेमंद – जिस पर विश्वास किया जा सके।
14. टीस – कसक, रह-रहकर उठनेवाली पीड़ा।
15. व्यग्र – व्याकुल, परेशान।
16. पीढ़ी – वंश-परंपरा की कड़ी।
17. शहतीर – पाटन के नीचे दी जानेवाली बड़ी कड़ी, धरन।
18. तसले – बड़े कटोरे की शक्ल का लोहे का बड़ा बरतन।
19. अलाव – तापने के लिए जलाई हुई आग, कौड़ा।
20 .जीर्ण – पुराना।
21. भावुकता – भावुक होने का भाव।
22. गूंजना – आवाज का टकराकर लौटना।
23. उलाहना – किसी व्यवहार, बर्ताव की शिकायत।
24. ककहरा – क से ह तक के अक्षर – वर्णमाला।
25. नाद – पशुओं को चारा खिलाने का पात्र।
26. ढोर-डंगर – पशु।
27. रंभाना – गाय, बैल का बोलना।
28. कोठियाँ – अनाज रखने का मिट्टी का बड़ा बरतन, डेहरी।
29. रई – खैलर, मधनी।
30. अवसान – मृत्यु, निधन।
31. जीवन्त – जिन्दा।
32. कसक – टीस, पीड़ा।
33. सहमति – राय।
34. इकरारनामा – करारपत्र।
35. उमंग – उल्लास, जोश।
36. नज़ाकत – सुकुमारता।
37. अदृष्ट – लुप्त।
GSEB Solutions Class 12 Hindi घर Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार (पाँच-छ: वाक्यों में) लिखिए :
प्रश्न 1. गांव का पुश्तैनी घर बेचने से पहले लेखक के मन में क्या-क्या विचार आए?
उत्तर :
लेखक ने गाँव का पुश्तैनी घर बेचने का निश्चय कर लिया था, परंतु बाद में उसका मन उद्विग्न हो गया। उसे लगा कि आखिर वह पुश्तैनी घर क्यों बेचा जाए। कितनी मेहनत से उसके पिता और मां ने उस घर को बनाया था। उसी घर के आंगन में वे खेले थे। वहीं रहकर उन्होंने शिक्षा पाई थी। उसी घर में उसकी बहनों और भाइयों के विवाह-मंडप सजे थे। पड़ोसियों से झगड़े हुए थे। वही उनके पशु बाँधे जाते थे। उनके दादा, दादी और पिता की मृत्यु भी उसी घर में हुई थी। इस प्रकार गांव का पुश्तैनी घर बेचने से पहले लेखक के मन में तरह-तरह के भावनापूर्ण विचार आए।
प्रश्न 2. लेखक ने गांव का घर बेचने का क्यों निश्चय किया?
उत्तर :
लेखक, उनके सभी भाई, सभी के परिवार और उनकी मां शहर में रहने लगे थे। गांव में लेखक का पुश्तैनी घर था जिसे उनके दिवंगत पिता तथा माँ ने बड़े परिश्रम से बनाया था। वह बहुत समय से बंद पड़ा था और जर्जर होता जा रहा था। गांव के अधिकांश लोगों ने शहर में स्थायी हो जाने पर अपने-अपने घर बेच दिए थे। अब उनमें नए लोग आ गए थे, जिनसे लेखक का कोई संबंध नहीं था। उस घर का खरीदार भी अच्छा मिल रहा था। इसलिए लेखक ने अपनी बूढी माँ की अनुमति से गाँव के घर को बेच देन का निश्चय किया।
प्रश्न 3. घर बेचने से पहले परिवार ने क्या किया?
उत्तर :
गांव का पुराना घर बेचने से पहले परिवार ने एक बार फिर वहाँ साथ रहने का निर्णय किया। एक लंबे समय के बाद घर खुला। देखते ही देखते छोटे-बड़े परिवारजनों से वह सूना घर फिर गूंजने लगा। पुराने दिन वापस लौट। आए पति की मृत्य के बाद लेखक की माँ लगभग उदास रहती थीं। घर के सामाजिक प्रसंगों में रुचि नहीं लेती थीं। पुराने घर में आकर वे प्रसन्न रहने लगीं। वहाँ के वातावरण में उन्हें आत्मीयता की अनुभूति होती थी। इस प्रकार घर बेचने से पहले परिवार ने एक बार फिर उसमें रहने के आनंद का अनुभव किया।
प्रश्न 4. गाँव के पुराने घर में बैठे लेखक कैसी व्यग्रता अनुभव करते हैं?
उत्तर :
गांव के पुराने घर में बैठे लेखक का मन अनेक पुरानी स्मृतियों से घिर जाता है। उस घर के दालान में ही उसने वर्णमाला सीखी थी और उच्च शिक्षा के ग्रंथ पढ़े थे। लेखक आंगन में खाट बिछाकर लेट जाते हैं। आज भी वहाँ नोंद थी और खटे थे। लेखक को लगता है जैसे पहले वहाँ बाँधे जानेवाले पशु रंभा रहे हो। लेखक का ध्यान उस खपरैल पर पड़ जाता है जहाँ चौमासों में वे इसका संगीत सनते थे। उन्हें वह तोरण याद आता है, जिसके नीचे उनकी बहनों के विवाह-मंडप सजे थे। उन्हें लगता है जैसे घर की दीवारें उनसे कह रही हों कि इतने दिन बाद तो आए हो और अब दूसरों को बेचकर चले जाना चाहते हो। इस प्रकार गांव के पुराने घर में बैठे हुए लेखक गहरी व्यग्रता अनुभव करते हैं।
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