Chapter :- 1 कृष्ण-भक्ति
Chapter :- 1 कृष्ण-भक्ति
कृष्ण-भक्ति Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
मीराबाई कृष्ण की दीवानी थीं। श्रीकृष्ण के प्रति उनका निश्छल प्रेम था। इसे मीरा ने अपने पदों में सुंदर ढंग से पिरोया है। पहले पद में मीरा हरि-दर्शन के लिए व्याकुल हैं। उन्हें हरि के कमल रूपी चरणों में लगन लगी है। हरि का दर्शन न हो पाने के कारण मीरा दुःखी हैं। उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता। दूसरे पद में मीराबाई ने गोपियों एवं राधा के साथ कृष्ण के होली खेलने का सुंदर वर्णन किया है।
कविता का सरल अर्थ :
हरि बिन ……….. आणंद बरण्यू न जावै।
मीराबाई अपने आराध्य देव हरि के वियोग में व्याकुल हैं। वे कहती हैं कि हरि के बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। भगवान परम स्नेही हैं। वे कहती हैं कि भगवान मेरे हैं और मैं भगवान की हूँ। मुझे हरि के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। वे कहती हैं कि भगवान ने दर्शन देने का वादा किया था, पर उन्होंने अभी तक दर्शन नहीं दिए। इसलिए मेरा हदय अत्यंत बेचैन है। हे ईश्वर, मुझे दर्शन की प्रतीक्षा है। आप कब दर्शन देंगे। आपके कमल रूपी चरणों में मेरा मन लिप्त है। दर्शन न पाने से मुझे बहुत दुःख है। मीराबाई कहती हैं कि हे प्रभु, आप दर्शन दीजिए। आपका दर्शन पाने पर मुझे जो आनंद प्राप्त होगा, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।
होरी खेलत ………. मोहनलाल बिहारी।
मीराबाई वज में श्रीकृष्ण के होली खेलने का वर्णन कर रही हैं। वे कहती हैं कि श्रीकृष्ण होली खेल रहे हैं। इस अवसर पर मुरली, चंग और डफ जैसे अनोखे वाद्य बज रहे हैं। उनके व्रज की युवा नारियाँ होली खेल रही हैं। श्रीकृष्ण अपने हाथ से उठा-उठाकर चंदन और केसर छिड़क रहे हैं। वे अपनी मुट्टियों में लाल-लाल गुलाब भरकर चारों ओर सभी लोगों पर डाल रहे हैं। छल-छबीले सुंदर कृष्ण कन्हैया के साथ प्राण-प्यारी राधा हैं। वे तालियां बजाते हुए धमार रागवाला गीत गा रहे हैं। गोपियों के फाग खेलने से इतने गुलाल उड़ रहे हैं, जिससे लगता है व्रज में गुलाल की भारी गर्द उड़ रही हो। मीरा कहती हैं कि हे प्रभु, आप मन को मोह लेनेवाले हैं।
कृष्ण-भक्ति शब्दार्थ :
- हरि – भगवान।
- बिन – बिना।
- कछु – कुछ।
- सुहावै – अच्छा लगता है।
- परम – अत्यंत।
- सनेही – स्नेह करनेवाले।
- नीति – नित्य।
- ओलरी – माफिक।
- आवै – आती है।
- आवण – आने के लिए।
- अजहुँ – अभी तक।
- जिउडा – हृदय, जी।
- अति – अत्यधिक।
- उकलावै – व्याकुल होता है।
- दरसण – दर्शन।
- आस – आशा।
- दरस – दर्शन।
- कैवल – कमल।
- लगनि – ध्यान लगना।
- नित – नित्य।
- आणंद – आनंद, खुशी।
- बरण्यू – बखान, वर्णन।
- होरी – होली।
- खेलत – खेलते हैं।
- गिरधारी – श्रीकृष्ण।
- मुरली – बाँसुरी।
- चंग – छोटे आकार का एक बाजा।
- न्यारी – अनोखा।
- छिरकत – छिड़कते हैं।
- अपने हाथ – खुद अपने हाथों से।
- चहूं – चारों।
- सबन – सब।
- पै – पर।
- डारी – डालकर।
- नवल – सुंदर।
- कान – कन्हैया, कृष्ण।
- स्यामा – राधा।
- धमार – होली के समय गाया जानेवाला गीत।
- कल – सुंदर, मनोहर।
- करतारी – ईश्वर, कर्ता (यहाँ अर्थ) ताली।
- जु – जो।
- रज – धूल।
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